Tuesday, August 2, 2011

कुत्ते धन ही नहीं जुटाते, कैंसर की पहचान भी कर सकते हैं

एक कुत्ते ने मैराथन दौड़ में अनजाने ही भाग लेकर कैंसर अनुसंधान के लिए हजारों डॉलर जुटा दिए। लेकिन एक दिलचस्प तथ्य यह है कि कुत्ते कैंसर की पहचान भी कर सकते हैं। उनकी सूंघने की शक्ति कैंसर जैसी असामान्य स्थिति को 'सूंघ' सकते हैं। इस तरह से कई लोगों को अपने कुत्तों की वजह से कैंसर होने का पता लगा।

एक थ्योरी यह कहती है कि कैंसर की रोगी कोशिकाओं में अलग तरह की दुर्गंध होती है जिसे कुत्ते पकड़ पाते हैं। और उस गंध से परेशान होकर वे परिवार के उस सदस्य के शरीर के उस हिस्से को लगातार चाटते-टटोलते रहते हैं। इससे व्यक्ति को सचेत हो जाना चाहिए कि कुछ गड़बड़ है। इस तरह की घटनाओं में कुत्ते के बार-बार ध्यान खींचने पर लोग डॉक्टर के पास गए और उन्हें पता लगा कि उनके शरीर में कैंसर पनप रहा है।

कुछेक सप्ताह के प्रशिक्षण से ऐसे कुत्ते लोगों की सांस सूंघकर भी कैंसर के होने का पता दे सकते हैं। वे सांस में मौजूद कुछ खास रसायनों के अरबवें हिस्से की मौजूदगी को भी सूंघ कर पहचान सकते हैं।

दरअसल कैंसर कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं से अलग कुछ जैवरासायनिक त्याज्य पदार्थ छोड़ती हैं, जिन्हें कुत्ते सूंघ कर जान सकते हैं। स्तन और फेफड़ों के कैंसर को वे आसानी से पहचान पाते हैं। अब कुत्तों को पेशाब सूंघकर व्यक्ति में प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए भी प्रसिक्षित किया जाने लगा है।

Monday, August 1, 2011

कैंसर अनुसंधान के लिए एक कुत्ते ने जुटाए 13 हज़ार डॉलर


डोज़र तीन साल का है। अपने मालिक के घर से छूट भागा तो एक मैराथन रेस के ट्रैक पर पहुंच गया। यह हाफ मैराथन कैंसर अनुसंधान के लिए धन जुटाने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। फिर तो डोज़र अनजाने ही दौड़ का प्रतिभागी हो गया और पूरे सवा दो घंटे लगातार दौड़ में शामिल रह कर हाफ मैराथन पूरी कर गया। जैसे ही वह फिनिश लाइन तक पहुंचा तो लोगों ने उत्साह से उसकी अगवानी की। आयोजकों की तरफ से उसे विशेष पदक देकर सम्मानित भी किया गया।

हालांकि कुत्ते ने इस दौड़ के लिए खुद को रजिस्टर नहीं किया था, पर इससे क्या। सच्चे सपोर्टर को कोई कैसे मना कर सकता था भला! इस तरह डोज़र के कारण 13 हजार डॉलर से ज्यादा धन इकट्ठा हुआ। इकट्ठा किया गया पैसा मैरीलैंड विश्वविद्यालय के ग्रीनबाम कैंसर सेंटर को मिलेगा। इधर उस कुत्ते के मालिकों ने भी उसके नाम से एक वेब पेज खोल लिया है। इस पर मिला धन भी कैंसर रिसर्च के लिए दिया जाएगा।

हम भी अपने देश में ऐसे कामों के लिए कुछ देने की आदत डाल लें, तो कैसा रहे?
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